नजरें हैँ चार चार
खेलेंगे बार बार
रंगों की हर फुहार
पर पुकार होली है!
भंग से नशा नशा
ये नशा न भंग हो
रंग की तरंग का
हर ख़ुमार होली है!
सखियों के संग संग
थिरके है अंग अंग
कान्हा चलाएं जहां
पिचकारी होली है!
लाल हुए गाल गाल
जब गुलाल के बिना
शरमा के झूम उठीं
राधा जी होली है!
- 1993 -
खेलेंगे बार बार
रंगों की हर फुहार
पर पुकार होली है!
भंग से नशा नशा
ये नशा न भंग हो
रंग की तरंग का
हर ख़ुमार होली है!
सखियों के संग संग
थिरके है अंग अंग
कान्हा चलाएं जहां
पिचकारी होली है!
लाल हुए गाल गाल
जब गुलाल के बिना
शरमा के झूम उठीं
राधा जी होली है!
- 1993 -
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