Sunday, July 26, 2015

सुबह की मस्ती !

सुन्दर सा चेहरा सवेरे सवेरे
जुल्फें हैं जैसे कि बादल घनेरे
शरमा के मुँह को कहीं भी छुपा ले
लगा ही दिया फूल बालों में तेरे !

- सुरेन्द्र कुमार -
रुड़की 1960















माता ओ माता !

लड़की चाहे दूर खड़ी हो
पास नज़र आती है
हर लड़की की मां मुझको तो
सास नज़र आती है

- सुरेन्द्र कुमार -
रुड़की 1960

मंगलयान

इसरो की धरती से छूटा
जैसे बाण चला तरकश से
आसमान में नया सितारा
मंगलयान चले! मंगलदीप जले!

मंगल की धरती की खबरें
भेज रहा कितने ऊपर से
भारत का सम्मान बढ़ाता
यह अभियान फले! मंगलदीप जले!

- सुरेन्द्र कुमार -
अक्तूबर 2014


राधा जी की होली

नजरें हैँ चार चार
खेलेंगे बार बार
रंगों की हर फुहार
पर पुकार होली है!

भंग से नशा नशा
ये नशा न भंग हो
रंग की तरंग का
हर ख़ुमार होली है!

सखियों के संग संग
थिरके है अंग अंग
कान्हा चलाएं जहां
पिचकारी होली है!

लाल हुए गाल गाल
जब गुलाल के बिना
शरमा के झूम उठीं
राधा जी होली है!

- 1993 -


बीता हर पल तेरे साथ

इतने सालों से पहनी है
मैंने दिल में जयमाल तेरी
इतने सालों के पल पल में
बस साथ तेरा ही पाया है।

कितनी खुशियां कितने पतझड़
इक साथ हमीं ने देखे हैं
सांसों में लिपटे गीतों ने
इक नाम तेरा ही गाया है।

कितने ही पत्थर मीलों के
हम छोड़ चुके अपने पीछे
बाँहों में बाँह लिए हमने
आगे ही कदम बढ़ाया है।

हर रात नई सी लगती है
हर रोज़ सवेरा नया नया
जीवन में अपने सपनों को
हमने मिलकर ही पाया है।

- विवाह की 25वीं वर्षगांठ पर -
     पत्नी को सप्रेम समर्पित
         22-01-1991


Saturday, July 25, 2015

तेरे बिना !

गर्म लू में खड़ा मैं ठिठुरता रहा
रात भर मैं अंधेरे से लड़ता रहा
हर खुला रास्ता मुझको दूभर लगा
जब भी अमृत पिया मैं तो मरता रहा।

रात आई गई किस तरह हो गई
तू कहां मैं कहां ये समझता रहा
कब मिलेगी ये मुझको भी मालूम नहीं
बस सितारों को गिन गिन तड़पता रहा।

मेरे हाथ में हाथ  लेकर निकलना
गिरने न दूंगा, ज़रा तो सँभलना
वो मीठी सी आवाज़ मुझको बुलाए
खयालों में तेरे ये कैसा है सपना।

ख़ुद को ख़ुद ही से गले से लगाना
कितना समझकर भी मैंने न जाना
ये थोड़ी सी अनबन, ये थोड़ी सी झिड़कन,
इन्हें ढूंढता हूं, तू अबके न जाना।

12-07-2015    सुरेन्द्र कुमार